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🌊 नितान्तनीरम् (असीम अवगाहन)
“विलय ही पुनरागमन है।” जीवन और संगीत — दोनों में ऐसे क्षण आते हैं जब “मैं” और “सृष्टि” के बीच की सीमाएँ धुंधली पड़ने लगती हैं। श्रोता और स्वर के बीच कोई अंतर नहीं रह जाता — केवल एक प्रवाह, एक विलय रह जाता है। नितान्तनीरम् उसी अवस्था का अनुभव है — वह पवित्र विलय जहाँ पहचान, ध्वनि और अस्तित्व एक हो जाते हैं, जैसे जल अपनी ही समुद्र में लौट आता है। यह कोई अंत का गीत नहीं है — यह वापसी का गीत है। संस्कृत में “नितान्त” का अर्थ है पूर्ण, असीम, संपूर्ण और “नीरम्” का अर्थ है जल । द
chaitanya1827
26 अक्टू॰3 मिनट पठन


🌊 प्रवाहम् (प्रवाह — बहता हुआ जीवन)
“बहना गति नहीं — समर्पण है।” जब सूक्ष्मभूत ने मौन के भीतर का जीवन दिखाया,और अदृश्य ने अपनी हल्की धड़कनें जगाईं —तब आता है वह क्षण जब स्थिरता स्वयं को रोक नहीं पाती। वही क्षण है — प्रवाहम् ,जहाँ सब कुछ बह उठता है — निरुद्ध शक्ति मुक्त हो जाती है। 🌊 संवरण का विसर्जन जो भीतर संचित था, अब बाहर फूट पड़ता है।सृष्टि, जो अब तक भीतर की श्वास रोके थी, अब उसे छोड़ देती है —यह उथल-पुथल नहीं, बल्कि मुक्ति का नृत्य है। प्रवाहम् में बादलों की गर्जना नहीं,केवल वह धारा है जो सबको साथ लेकर
chaitanya1827
26 अक्टू॰2 मिनट पठन


🌫️ सूक्ष्मभूत (Sūkṣmabhūta — सूक्ष्म तत्त्व)
“जो दिखता है, वह नश्वर है; जो अदृश्य है, वही शाश्वत है।” जब तूफ़ान थम जाता है और बिजली दूर क्षितिज में खो जाती है,तो संसार मौन नहीं होता — वह भीतर की ओर मुड़ता है । प्रकृति जब स्थिर प्रतीत होती है, जब वायु भी श्वास रोक लेती है,तभी कुछ छिपा हुआ जागृत होता है — सृष्टि के भीतर की सूक्ष्म धड़कन। वही है सूक्ष्मभूत — सूक्ष्म तत्व ,वह अदृश्य सार जो सबको जोड़ता है,वह मौन ऊर्जा जो हर ध्वनि, हर रूप, हर श्वास के नीचे गूंजती रहती है। 🌫️ सूक्ष्म का अर्थ संस्कृत में “सूक्ष्म” का अर्थ है
chaitanya1827
26 अक्टू॰3 मिनट पठन
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